महामारी के दौरान प्रवेश परीक्षाएं कराने के विरोध में 13 अगस्त 2020 से बीएचयू परिसर में सत्याग्रह चल रहा है। छात्रों की समस्याओं से BHU शासन प्रशासन को ध्यान दिलाने की कोशिश किया जा रहा है। लेकिन सभी समस्याओं को नजरअंदाज करते हुए सरकार और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय प्रशासन महामारी के बीच परीक्षाएं आयोजित कर रहा है।कोरोना महामारी का कहर पूरे विश्व पर जारी है। भारत में संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। बिहार राज्य में संक्रमण का आंकड़ा एक लाख पार कर गया है। इसके साथ बिहार कोरोना के एक लाख के आंकड़े को पार करने वाला देश का आठवां राज्य बन गया है। बिहार पर न सिर्फ महामारी आपदा है बल्कि बाढ़ दोहरी आपदा बनकर आई है। बिहार में 16 जिले बाढ़ की चपेट में है और अब तक 25 लोग की गई जान जा चुकी है व 77 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। आपदा प्रबंधन विभाग से जानकारी के मुताबिक सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. पश्चिम चंपारण, खगड़िया, सारण, समस्तीपुर, सिवान, मधुबनी, मधेपुरा एवं सहरसा जिले की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। इसके आलावा अन्य ज़िले भी आंशिक रूप से बाढ़ से प्रभावित हैं। साथ ही साथ बिहार में कोरोना की गम्भीर स्थिति देखते हुए 6 सितम्बर तक लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई है।
बिहार राज्य के लाखों छात्र बीएचयू की प्रवेश परीक्षा में शामिल होते हैं तथा हजारों की संख्या में पढ़ने आते हैं। ऐसे में बिहार का छात्र होने के नाते यह आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि परीक्षा में संक्रमण व परीक्षार्थियों के आवागमन से जुड़े स्वास्थ् सम्बंधित खतरों को न्यूनतम स्तर पर ले गए बिना प्रवेश प्रक्रिया शुरू करना लाखों छात्रों के साथ अन्याय है। प्रवेश परीक्षा में शामिल न हो पाने से छात्रों के शिक्षा के अधिकार प्राप्त करने और अवसर की समानता आदि संवैधानिक मूल्यों पर भी चोट पंहुचेगी , जो कि अनुचित बात है। अतः आपसे निवेदन है कि उपरोक्त समस्याओं को ध्यान में रखते हुए राज्य में किसी भी प्रकार परीक्षा आयोजित न कि जाए तथा बिहार राज्य के छात्रों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकार से महामारी के दौरान परीक्षा न कराने की मांग करें।