मधेपुरा रेल इंजन कारखना से एक साथ 6 इंजन राष्ट्र को समर्पित किया गया। फ्रांस की एल्सटॉम कंपनी ने मधेपुरा में देश का सबसे अत्याधुनिक रेल इंजन WAG-12 तैयार किया है। रेलवे बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद अब डेडिकेटेड फ्रंट कॉरिडोर में सरपट दौड़ती हुई नजर आएगी। पूरी तरफ से वातानुकूलित होने के कारण इंजन के ड्राइवर को गर्मी में भी किसी तरह की परेशानी का सामना नही करना पड़ेगा। 12000 हॉर्स पावर की क्षमता के साथ यह देश का सबसे शक्तिशाली रेल इंजन है जो 6000 टन के वजन के मालगाड़ियों को खींच सकता है। एक साथ मधेपुरा स्थित रेल कारखाने से 6 इंजन को हरी झंडी दिखाई गई जो सहरसा से गुरुवार को लखनऊ रूट की तरफ रवाना किया गया। 12,000 हॉर्स पावर के इस लोकोमोटिव की अधिकतम गति 100 किमी प्रति घंटा होगी। इस शक्तिशाली इंजन को भारतीय रेलवे और फ्रांसीसी कंपनी अल्स्टॉम के बीच एक संयुक्त साझेदारी में विकसित किया गया है। सहारनपुर के ईएलएफ, मधेपुरा से नवंबर में रवाना हुए दूसरे लोकोमोटिव इंजन के ट्रायल एवं परीक्षण के बाद, आरडीएसओ और सीआरएस ने फरवरी में संचालन के लिए स्वीकृति दे दी थी।
गेम चेंजर साबित होगा रेल इंजन
भारतीय रेलवे और फ्रांस की एल्सटॉम ने मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव प्रा. लिमिटेड (MELPL), जहां देश के सबसे शक्तिशाली इलेक्ट्रिक इंजन का निर्माण किया जा रहा है।
नई ट्विन बो-बो डिज़ाइन लोकोमोटिव 22.5 टी (टन) के साथ अपग्रेड करने योग्य 25 टन के साथ 120 किमी प्रति घंटे की गति के साथ 12 टनएचपी द्वारा मार्च 2018 में उद्घाटन किया गया था। रेल मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, आरडीएसओ द्वारा सुझाए गए अनुसार इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में काफी बदलाव आया है और इसके बाद मधेपुरा इकाई में निरीक्षण किया गया और कारखाने से इंजन निर्माण की मंजूरी दे दी गई। वित्त वर्ष 2020-21 में वित्त वर्ष 2019-20,90 लोकोमोटिव में 10 लोकोमोटिव की आपूर्ति करेगा और रिकवरी योजना के अनुसार मार्च 2021 से परे प्रति वर्ष 100 लोकोमोटिव। माल ढुलाई सेवा और इसके संबद्ध रखरखाव के लिए 800 इलेक्ट्रिक इंजन के निर्माण के लिए 3.5 बिलियन यूरो के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। नए शक्तिशाली इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव को भारतीय रेलवे द्वारा माल की आवाजाही के लिए एक गेम-चेंजर होने की उम्मीद है। लोकोमोटिव में 100 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से 6000T गाड़ियों को चलाने की क्षमता होगी। लोकोमोटिव को भारतीय रेलवे के डीएफसी में कोयला गाड़ियों की आवाजाही के लिए एक गेम-चेंजर माना जाता है।