मधुबनी । प्रधानमंत्री मोदी जी मिथिला पेंटिंग के मुरीद है। रेलवे भी मिथिला के जरिए पूरे देश में मिथिला की झलक दिखा रही है। अगर रेलवे और सरकार सभी ट्रेनों को मिथिला पेंटिंग से सजाएं तो मधुबनी पेंटिंग को पूरा देश जानेगा और बिहार में नए रोजगार के अवसर मिलेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में जब अपने नेपाल दौरे के दौरान जनकपुर गए थे तो मिथिला पेंटिंग वाले दुपट्टे के साथ उनकी तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी ट्रेंड किया था। राजनीतिक पंडित इस तस्वीर का अलग निहितार्थ लगा रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा का नैया पार लगाने में श्रीराम की अहम भूमिका रही है। प्रधानमंत्री मोदी एक बार फिर 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सीता-राम के सहारे वैतरनी पार करना चाहते हैं।
मधुबनी पेंटिंग की शुरुआत रामायण काल में ही हुई थी। उस समय मिथिला के राजा जनक थे। राम के धनुष तोड़ने के बाद जनक की बेटी सीता की शादी राम से तय हुई थी। राम के पिता अयोध्या के राजा थे। मिथिला में अयोध्या से बारात आने वाली थी। जनक ने सोचा, शादी ऐसी होनी चाहिए कि लोग याद करें। उन्होंने जनता को आदेश दिया कि सभी लोग अपने घरों की दीवारों और आंगन में पेंटिंग बनाएं, जिसमें मिथिला की संस्कृति की झलक हो। इससे अयोध्या से आए बारातियों को मिथिला की महान संस्कृति का पता चलेगा। मधुबनी पेंटिंग मिथिलांचल का मेन फोक पेंटिंग है। शुरुआत में ये पेंटिंग्स आंगन और दीवारों पर रंगोली की तरह बनाई जाती थी। फिर धीरे-धीरे ये कपड़ों, दीवारों और कागजों पर उतर आईं। मिथिला की महिलाओं ़द्वारा शुरू की गईं इन फोक पेंटिंग्स को पुरुषों ने भी अपना लिया। शुरू में ये पेंटिंग्स मिट्टी से लीपी झोपड़ियों में देखने को मिलती थीं। लेकिन अब इन्हें कपड़े या पेपर के कैनवस पर बनाया जाता है।
इन पेंटिंग्स में खासतौर पर देवी-देवताओं व लोगों की आम जिंदगी और प्रकृति से जुड़ी आकृतियां होती हैं। इनमें आपको सूरज, चंद्रमा, पनघट और शादी जैसे नजारे आम तौर पर देखने को मिलेंगे।
मिथिला पेंटिंग के कारण मधुबनी स्टेशन को देश भर में सबसे खूबसूरत रेलवे स्टेशन होने पर दूसरा स्थान प्राप्त हुआ।